सपनो की उड़ान
एक लड़की थी
अनजानी;
करना चाहती थी पुरे
अपने सपनो की
कहानी.
पर जब जब
आगे बढ़ना चाहे;
कोई न कोई
रोक लगाए.
ज़िम्मेदारी
का बोज उसपे
बिठाया;
कोई उसको सपनो
को समाज न
पाया.
पर एक दिन
ऐसा आया;
सब कुछ भूलकर
खुद को पाया.
आगे बड़के करा
खुद से एक
वादा;
अब कोई न
बदल पायेगा उसके
सपनो का इरादा.
फिर एक सुबह
ऐसी आयी;
उस पंछी की
तरह,
अपने सपनो की
उड़ान लगाई.......
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